बेटी के विवाह में आ रही हो परेशानी तो करें ये उपाय, 15 दिन में मिलेगा मनचाहा वर
Astrology Articles I Posted on 14-11-2018 ,14:33:20 I by: vijay
ज्योतिषीय कारण जातक की शादी में विलंब के लिए प्रमुख रूप से उत्तरदायी
होते हैं। यदि बिटिया की शादी तय होने में बार-बार रुकावट आ रही हो तो शादी
से संबंधित बाधक ग्रह-योगों के उपाय करने से शादी के लिए अनुकूल
परिस्थितियां पैदा होकर शीघ्र उत्तम घर व वर मिलने में मदद मिलती हैं।
कुंडली में विवाह का विचार मुख्यत: सातवें भाव, सप्तमेश, लग्नेश, शुक्र एवं
गुरु की स्थिति को ध्यान मे रखकर किया जाता है। सप्तम भाव इसलिए, क्योंकि
कुंडली में विवाह से संबंधित भाव यही है। सप्तमेश को देखना इसलिए आवश्यक है
क्योंकि वही इस भाव का स्वामी होगा। कन्या की कुंडली में गुरु की स्थिति
प्रमुख रूप से विचारणीय होती है क्योंकि उनके लिए गुरु पति का स्थायी कारक
है। लग्नेश का सप्तमेश एवं पंचमेश के साथ संबंध भी विवाह को प्रभावित करता
है। विवाह संबंधी प्रश्नों में लग्न कुंडली, चंद्र कुंडली और नवमांश कुंडली
तीनों से ही विचार करना चाहिए। जन्म कुंडली मे कुछ ऐसे योग होते हैं, जो
जातिका के विवाह में विलंब का कारण बनते हैं।
बाधक ग्रहों को जानें
सर्व प्रथम विवाह में बाधक ग्रहों की पहचान कर उस ग्रह से संबंधित
व्रत, दान, जप आदि करने चाहिए। पितृ शांति कराएं। पति के कारक ग्रह गुरु के
व्रत विशेष लाभकारी होते हैं। इस दिन हल्दी मिश्रित जल केले को चढ़ाएं, घी
का दीपक जलाएं तथा गुरु मंत्र ओम ऐं क्लीं बृहस्पतये नम:का जप करें।
गुरुवार को पके केले स्वयं नहीं खाएं। इनका दान करें। इसके अलावा अपनी राशि
के अनुसार उपाय करें, शीघ्र विवाह के अवसर प्राप्त होंगे।
मंत्र साधना भी करेंओम लीं विश्वासुर्नाम गन्धर्व:।
कन्यानामधिपति: लभामि।
देवदत्तो कन्यां सुरूपां सालकारां
तस्मै विश्वासवै स्वाहा।। गुरुवार को किसी शुभ योग में इस मंत्र की पांच माला जप करें। यह क्रिया ग्यारह गुरुवार करें, उत्तम वर व घर शीघ्र मिलेगा।
ओम ह्नीं कुमाराय नम: स्वाहा सात सोमवार तक नियमित रूप से शिवलिंग के सम्मुख इस मंत्र की 21 माला का जप सोमवार को करें।
ओम बहि प्रेयसी स्वाहा। महाविद्या भुवनेश्वरी यंत्र के सम्मुख इस मंत्र का सवा लाख जप करें।
कात्यायिनी महामाये महायोगिनीधीश्वरी।
नन्द-गोपसुतं देवि! पतिं में कुरु ते नम:।। मां पार्वती के चित्र के सामने, पूजा करने के बाद इस मंत्र की ग्यारह माला का जप करें। यह क्रिया 21 दिनों तक नियमित रूप से करें।
ज्योतिष : इन कारणों से शुरू होता है बुरा समय बुरे दिनों को अच्छे दिनों में बदलने के लिए करें केवल ये 4 उपाय नववर्ष में अपनी झोली में खुशियां भरने के लिए करें ये 6 उपाय