अगर कुंडली में हैं ऐसे योग तो ऐश्वर्य बरसेगा पूरी तरह
Astrology Articles I Posted on 12-10-2017 ,09:56:17 I by: Amrit Varsha
जन्म कुंडली में ग्रहों के योग से ही जातक के मंगल और अमंगल भविष्य का पूर्वानुमान लगाया जाता है तो उसकी वर्ष कुंडली बताती है कि आने वाले साल का समय उसके लिये कैसा रहेगा? कई बार जातक की कुंडली में ग्रह कुछ अशुभ योग बनाते हैं जिनके योग से जातक पर जन्म से ही विपदाओं का पहाड़ टूटने लगता है। लेकिन कुछ ऐसे शुभ योग भी होते हैं कि जातक को तकलीफ नाम की चीज का रत्ती भर भी भान नहीं होता। आइये आपको बताते हैं कुंडली के कुछ ऐसे ही योग जो बदल देते हैं आपकी जिंदगी और जिनके होने से आप करते हैं तरक्की दिन दुगनी रात चौगुनी।
नृप योग
इस योग के नाम से ही ज्ञात हो जाता है कि जिस जातक की कुंडली में यह योग बनता है उस जातक का जीवन राजा की तरह व्यतीत होता है। जातक की कुंडली में यह योग तभी बनता है जब तीन या भी तीन से अधिक ग्रह उच्च स्थिति में रहते हों। राजनीति में शिखर तक व्यक्ति इस योग के सहारे भी पंहुचते हैं।
अमला योग
यह योग भी शुभ योगों में से एक माना जाता है। जब जातक की जन्म पत्रिका में चंद्रमा से दसवें स्थान पर कोई शुभ ग्रह स्थित हो तो यह योग बनता है। अमला योग भी व्यक्ति के जीवन में धन और यश प्रदान करता है।
गजकेसरी योग
बहुत ही भाग्यशाली जातक होता है वह जिसकी जन्म कुंडली में यह योग बनता है। इसे असाधारण योग की श्रेणी में रखा जाता है। इस योग वाला जातक कभी भी अभाव में जीवन व्यतीत नहीं करता। सफलता अपने आप उसके पास दौड़ी चली आती है। बात रही इसके बनने की तो जब कुंडली में देव गुरु बृहस्पति और चंद्रमा पूर्ण कारक प्रभाव के साथ होते हैं तो इस योग का सृजन करते हैं। पत्रिका के लग्न स्थान में कर्क, धनु, मीन, मेष या वृश्चिक के होने पर यह कारक प्रभाव माना जाता है। हालांकि यदि यह योग पूरी तरह से कारक न भी हो तो भी इसे अच्छा फल देने वाला माना जाता है लेकिन ऐसे में अपेक्षानुसार कम फल मिलता है। जब चंद्रमा से केंद्र स्थान में पहले, चौथे, सातवें या दसवें स्थान में बृहस्पति हो तो इस योग को गजकेसरी योग कहते हैं। इसके अलावा चंद्रमा और बृहस्पति का साथ हो तब भी यही योग बनता है।
पारिजात योग
खरगोश और कछुए वाली कहानी तो आपने सुनी होगी जिसमें खरगोश तेज दौड़ता है लेकिन अति आत्मविश्वास और अपने अंहकार के कारण हार जाता है और कछुआ शांत स्वभाव से धीरे-धीरे ही सही लेकिन बिना रुके अपनी दौड़ पूरी करता है और जीत जाता है पारिजोत योग की कहानी भी कुछ-कुछ ऐसी ही है इस योग वाले जातक अपने जीवन में कामयाब होते हैं और सफलता के शिखर पर भी पंहुचते हैं लेकिन इनकी रफ्तार धीमी रहती है। लगभग आधा जीवन बीत जाने के बाद इस योग के प्रभाव दिखाई देने लगते हैं। कुंडली के अनुसार लग्नेश जिस राशि में हो उस राशि का स्वामी यदि कुंडली में उच्च स्थान या फिर अपने ही घर में हो तो ऐसी दशा में पारिजात योग बनता है।
महालक्ष्मी योग
जातक के भाग्य में धन और ऐश्वर्य का प्रदाता महालक्ष्मी योग होता है। जातक की कुंडली में यह धनकारक योग तब बनता है जब द्वितीय स्थान का स्वामी जिसे धन भाव का स्वामी भी माना जाता है यानि गुरुग्रह बृहस्पति एकादश भाव में बैठकर द्वितीय भाव पर दृष्टि डाल रहा हो। यह योग बहुत ही शुभ माना जाता है क्योंकि इससे जातक की दरिद्रता दूर होती है और समृद्धि उसका स्वागत करती है। लेकिन यह योग भी तभी फलीभूत होते हैं जब जातक योग्य कर्म भी करते हैं।
सरस्वती योगकला, संगीत, लेखन एवं शिक्षा के क्षेत्र में आप ख्याति प्राप्त कर रहे हैं तो इसका एक कारक आपकी कुंडली में इस योग का होना हो सकता है। सरस्वती जैसा महान योग जातक की कुंडली में तब बनता है जब शुक्र, बृहस्पति और बुध ग्रह एक दूसरे के साथ में हों या फिर केंद्र में बैठकर युति या फिर दृष्टि किसी भी प्रकार से एक दूसरे से संबंध बना रहे हों। यह योग जिस जातक की कुंडली में होता है उस पर मां सरस्वती मेहरबान होती हैं और वे रचनात्मक क्षेत्रों मंं विशेषकर कला एवं ज्ञान के क्षेत्र में बड़ा नाम कमाते हैं।
ज्योतिष : इन कारणों से शुरू होता है बुरा समय सौ सालों में पहली बार नवग्रह 2017 में करेंगे अपनी राशि परिवर्तन क्या आप परेशान हैं! तो आजमाएं ये टोटके