कुंडली में होंगे जब ये योग तो आपका सफल होना पक्का

किसी भी जातक के सफल या असफल होने में योग का खासा महत्व होता है। ज्योतिष में जारज योग, मूसल योग, रज्जु योग, नल योग, सर्पयोग, गदा योग, सकट योग, पक्षी योग, श्रृंगाटक योग, हल योग, वज्र योग, यव योग, कमल योग, वापी योग, यूथ योग, सर योग, शकित योग, दण्ड योग, नौका योग, नेत्ररोगी योग, कूट योग, छत्र योग, चाप योग, समुद्र योग, गोल योग, युग योग, शूल योग, केदार योग, पाश योग, दाम योग, वीणा योग, अमल किर्ति योग, पर्वत योग, काहल योग सहित कई योग बताए गए हैं। इनमें से कुछ खास योग आपकी जन्मकुंडली में हों तो आपकी किस्मत संवर सकती है।


राजयोग : नवमेश तथा दशमेश एकसाथ हो तो राजयोग बनता है। दशमेश गुरू यदि त्रिकोण में हो तो राजयोग होता है। एकादषेश, नवमेश व चन्द्र एकसाथ हो (एकादश स्थान में) तथा लग्नेश की उन पर पूर्ण दृशिट हो तो राजयोग बनता है। ( राजयोग में धन, यश, वैभव, अधिकार बढ़ते है)।

विधुत योग : लाभेश परमोच्च होकर शुक्र के साथ हो लग्नेश केन्द्र में हो तो विधुत योग होता है। इसमें जातक का भाग्योदय विधुतगति से अर्थात अति द्रुतगामी होता है। नागयोग : पंचमेश नव मस्थ हो तथा एकादषेश चन्द्र के साथ धनभाव में हो तो नागयोग होता है। यह योग जातक को धनवान तथा भाग्यवान बनाता है।

नदी योग : पंचम तथा एकादश भाव पापग्रह युक्त हों किन्तु द्वितियव अष्टनम भाव पापग्रह से मुक्त हों तो नदी योग बनता है, जो जातक का उच्च पदाधिकारी बनाता है। अधेन्द्र योग :- लग्नकुंडली में सभी ग्रह यदि पांच से ग्यारह भाव के बीच ही हों तो अधेन्द्र योग होता है। ऐसी जातक सर्वप्रिय, सुन्दर देहवाला व समाज में प्रधान होता है।

महाभाग योग : यदि जातक दिन में जन्मा है। (प्रात: से साय: तक) तथा लग्न, सूर्य व चन्द्र विशम राषि में है। तो महाभाग योग बनता है। यदि रात में जन्मा है। (साय: के बाद प्रात: से पूर्व) तथा लग्न, सूर्य व चंद्र समराषि में है। तो भी महाभाग योग बनता है। यह सौभाग्य को बढ़ाता है।

गजकेसरी योग : लग्न या चन्द्र से गुरू केन्द्र में हो तथा केवल शुभग्रहों से युक्तभ हो, अस्त, नीच व शत्रु राशि में न हो तो गजकेसरी योग होता है। जो जातक को मुख्यमंत्री बनाता है या प्रमुख बनाता है।

बुधादित्य योग : 10वें भाव में बुध व सूर्य का योग हो पर बुध अस्त न हो तो व्यापार में सफलता दिलाने वाला यह योग बुधादित्य योग के नाम से जाना जाता है।

सरकारी नौकरी व्यवसाय का योग : जन्मकुंडली में बांए हाथ पर ग्रहों की संख्या अधिक हो तो जातक नौकरी करता है। दांए हाथ पर अधिक हों तो व्यापार करता है।  सूर्य दांए हाथ पर हों तो सरकारी नौकरी कराता है। शनि बांए हाथ पर हो तो नौकरी कराता है। 10 वें घर से शनि व सूर्य का सम्बन्ध हो जाए तो जातक प्राय: सरकारी नौकरी करता है। गुरू व बुध बैंक की नौकरी कराते है। बुध व्यापार भी कराते है। गुरू सुनार काअध्यापन कार्य भी कराता है।

चक्रयोग : यदि किसी कुंडली में एक राशि से छ: राशि के बीच सभी ग्रह हों तो चक्रयोग होता है। यह जातक को मंत्री पद प्राप्त करने वाला होता है।

चक्रवती योग : यदि कुंडली के नीच ग्रह की राशि का स्वामी या उसकी उच्च राशि का स्वामी लग्न में हो या चन्द्रमा से केन्द्र (1,4,7,10) में हो तो जातक चक्रवती सम्राट या बड़ी धार्मिक गुरूनेता होता है।
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