इन शुभ और सर्वश्रेष्ठन मुहूर्तों में किया श्रीगणेश का ध्यान, तो हो जाएंगे निहाल

मानव जीवन का परम लक्ष्य सद्गुणों में वृद्धि के साथ देवत्व की प्राप्ति है और काम क्रोध लोभ मोह आदि आसुरी भाव उसमें प्रधान प्रबल विघ्न है। भगवान श्री गणेश ऋद्धि, सिद्धि बुद्धि प्रदाता एवं विघ्नहर्ता है। अतः साधना, उपासना या धार्मिक या समस्त मांगलिक कार्यों के आरम्भ में श्री गणेष का पूजन, स्तवन, स्मरण, नमन आदि का विधान है। विद्याराम्भ या व्यावसायिक बही-खातों के प्रथम पृष्ठ पर श्री गणेशाय नमः मांगलिक वाक्य अवश्य लिखा जाता है। इसीलिए रामचरित मानस में संत तुलसीदास जी सर्वांग्र-पूज्य, आदिपूज्य, पार्वती शिव तनय श्री गणेश की गरिमा में कहते है:-

महिमा जासु जान गनराऊ प्रथम पूजिअत नाम प्रभाऊ।।

मंगलमूर्ति श्री गणेश के स्वरूप का प्रत्येक अंग किसी न किसी विशेषता को लिए हुए है। श्री गणेश का बौना स्वरूप इस बात का द्योतक है कि व्यक्ति सरलता नम्रता आदि सद्गुणों के साथ स्वयं को छोटा मानता हुआ अपने प्रत्येक कार्य को प्रभु के अर्पण करता हुआ चले ताकि उसके अन्दर अहंकार के भाव उत्पन्न न हो। ऐसे भाव वाला व्यक्ति ही अपने कार्य में निर्विघ्नतापूर्वक सफलता प्राप्त कर सकता है। श्री गणपति ‘लम्बोदर’ है। उनका मोटा उदर इस बात का द्योतक है कि व्यक्ति को सबका भला बुरा सुनकर उसे अनावश्यतक प्रकाशित नहीं करना चाहिए। श्री गणपति एकदन्त है जो एकता का द्योतक है। लोकोक्ति भी है कि अमुक व्यक्तियों में बड़ी एकता है- एक दांत से रोटी खाते हैं। इसी प्रकार उनके भोग के रूप में मोदक में अलग-अलग बिखरी हुई बूंदी के समुदाय को एकत्र करके मोदक का भोग इस बात का द्योतक है कि व्यक्तियों का सुसंगठित समाज जितना कार्य कर सकता है उतना एक व्यक्ति नहीं कर सकता।
आज के दिन सही समय और मुहूर्त पर पूजा की जाए तो गजानन जल्दी प्रसन्न होकर मनचाहा  वरदान देते हें। जानते हैं गणेश चतुर्थी की पूजा के समय और मुहूर्त के बारे में  ज्योतिषाचार्य हरिओम शास्त्रीे के अनुसार गणेश पूजा का समय अभिजीत मुहूर्त में दिन 11:57 से लेकर दिन 12:48 तक गणपती स्थापना के लिए सर्वश्रेष्ठ है।

अन्य ज्योतिषियों के अनुसार सर्वश्रेष्ठ मुहुर्त-
प्रातः 7: 30 बजे से 10:30 बजे तक (लाभ एवं अमृत के चौघड़िया में) सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त - अपरान्ह 12:15 बजे से 1:30 बजे तक (वृश्चिक लग्न/शुभ के चौघड़िया एवं अभिजित काल में) इस बार गणेश चतुर्थी पर हस्त नक्षत्र का शुभ योग शनि मार्गी सायं 5:38 पर इस दिन 25 अगस्त शुक्रवार को अमृत योग प्रात: 5:56 बजे से रात्रि 8: 32 बजे तक। भद्रा प्रातः 8:30 बजे से रात्रि 8:32 बजे तक (गणेश जी का जन्म क्योंकि भद्रा काल में हुआ था। अतः भद्रा काल का दोष नहीं मान्य है।)
केवल 3 सिक्के चमका सकते हैं किस्मत
शनि की साढे़साती के अशुभ फलों के उपाय
इस पेड की पूजा से लक्ष्मी सदा घर में रहेगी

Home I About Us I Contact I Privacy Policy I Terms & Condition I Disclaimer I Site Map
Copyright © 2024 I Khaskhabar.com Group, All Rights Reserved I Our Team