इस मुहूर्त में करेंगे दीपावली पूजन तो नहीं रहेगी पूरे साल पैसों की कमी

दीपोत्सव का महापर्व का 17 अक्टूबर 2017, मंगलवार से शुरू होगा। यह दिन कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनवंतरी जयंती और भगवान कुबेर की पूजा अर्चना कर मनाया जाएगा। इसके बाद छोटी दीपावली, महालक्ष्मी पूजन, गोवर्धन पूजन और भाईदूज पर्व के साथ यह पर्व समाप्त होगा। धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरि की पूजा करने से मनुष्य को उत्तम स्वास्थ और दीर्घ आयु की प्राप्ति व कुबेर पूजन से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। दीपावली के मौके पर यदि इन खास मुहूर्त में पूजन किया जाता है तो पूरे साल पैसों की कोई कमी नहीं रहती-


इस वर्ष कार्तिककृष्ण अमावस्या दिनांक 19 अक्टूबर 2017 को प्रदोषकाल में अमावस्या होने से इसी दिन दीपावली मनायी जाएगी। लक्ष्मीपूजन प्रदोषयुक्त अमावस्या को स्थिरलग्न व स्थिरनवांश में किया जाना सर्वश्रेष्ठ होता है। इस वर्ष लक्ष्मीपूजन का समय इस प्रकार रहेगा। अमावस्या सूर्योदय से मध्यरात्रि 12:41 तक रहेगी। दीपावली लक्ष्मी की उत्पत्ति तिथि व लक्ष्मी-कुबेर पूजन के लिए स्वयंसिद्ध समय है, अत: लक्ष्मी-कुबेर से संबद्ध मांगलिक कार्य इस दिन शुभ माने गये है।

गुरुवार में हस्त नक्षत्र से राक्षस योग और चित्रानक्षत्र से निर्मित चरयोग सभी कार्यों में सिद्धि प्रदायक है और वैधृति के दोष का परिहार करते है। विष्कुम्भ योग इस पूजन हेतु श्रेष्ठ माना गया है। चित्रा नक्षत्र मृदु नक्षत्र है एवं सभी लक्ष्मी-कुबेर पूजन के लिए प्रशस्त माना गया है।

दिवाकाल के श्रेष्ठ समय :- शुभ का चौघडिय़ा प्रात: 06:33 से प्रात: 07:58 तक, चर-लाभ-अमृत का चौघडिय़ा प्रात: 10:47 से दोपहर 03:01 तक, शुभ का चौघडिय़ा सायं 04:25 से सायं 05:51 तक रहेगा। अभिजित दोपहर 11:49 से दोपहर 12:34 तक रहेगा।
सर्वश्रेष्ठ समय :- प्रदोष काल :- सायं 05:51 से रात्रि 08:26 तक। रात्रि के श्रेष्ठ चौघडिए:- अमृत-चर का चौघडिय़ा सायं 05:51 से रात्रि 09:01 तक, लाभ का चौघडिय़ा मध्यरात्रि 12:12 से मध्यरात्रि 01:47 तक, शुभ-अमृत का चौघडिय़ा अन्तरात्रि 03:22 से अन्तरात्रि 06:33 तक रहेगा। रात्रि के श्रेष्ठ लग्न :- वृषलग्न सायं 07:23 से रात्रि 09:20 तक रहेगा। सिंहलग्न मध्यरात्रि 01:53 से अन्तरात्रि 04:09 तक है।

दक्षिण दिशा में जलाएं दीपक से अकाल मृत्यु से होगी रक्षा

धनतेरस का संबंध यमराज से भी होता है। इस दिन व्यक्ति को अपने घर के दरवाजे के दक्षिण की ओर मिट्टी के दीपक तेल भरकर जलाना चाहिए। इससे मनुष्य की अकाल मृत्यु से रक्षा होती है। इस दिन यह दीपक काल का चौघाड़िया में शाम 05:55 से शाम 07:30 बजे तक जलाया जा सकता है।

रूप चौदस से मिलेगा सुंदरता में निखार
कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुदर्शी को छोटी दीपावली नरक चतुर्दशी (रूप चौदस) के रूप में मनाई जाएगी। शास्त्रों के अनुसार नरक से सुरक्षा के लिए इस पर्व का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्य उदय से पूर्व विशेष रूप से तेल व उबटन लगाकर स्नान करने का महत्व है। साथ ही काले तिल से यम को तर्पण करना चाहिए व शाम को यम के लिए दीपक भी जलाया जाता है।
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