पहचाने अपना चंद्र स्वर, हर काम में मिलेगी सफलता
Astrology Articles I Posted on 23-09-2017 ,15:40:38 I by: vijay
ज्योतिष शास्त्र में स्वरोदय विज्ञान इस बात को स्पष्ट करता है कि यदि
नासा छिद्रों की श्वास प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए कोई कार्य किया
जाये तो उसमें अपेक्षित सफलता अवश्य प्राप्त होती है।
समस्त प्राणियों में जीवित रहने के लिए श्वास प्रक्रिया
आवश्यक होती है। इसमें जीवनदायिनी ऑक्सीजन गैस ग्रहण करके दूषित कार्बन डाई
ऑक्साइड गैस का उत्सर्जन किया जाता है। मनुष्यों में श्वास प्रक्रिया के
लिए नाक में बने हुए दो नासा छिद्र सहयोग करते हैं। एक नासा छिद्र से श्वास
का आगमन होता है तो दूसरे छिद्र से श्वास का उत्सर्जन होता है। यह क्रम
स्वतः ही परिवर्तित होता रहता है।
नासिका के दाहिने छिद्र अथवा बाएं छिद्र से श्वास आगमन को "स्वर
चलना" कहा जाता है। नासिका के दाहिने छिद्र से चलने वाले स्वर को "सूर्य
स्वर" और बाएं छिद्र से चलने वाले स्वर को "चन्द्र स्वर" कहते हैं। सूर्य
स्वर को भगवान शिव का जबकि चन्द्र स्वर को शक्ति की आराध्य देवी माँ का
प्रतीक माना जाता है।
स्वर शास्त्र के अनुसार वृष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर और मीन
राशियां चन्द्र स्वर से तथा मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु एवं कुम्भ राशियाँ
सूर्य स्वर से मान्य होती हैं। चन्द्र स्वर में श्वास चलने को "इडा" और
सूर्य स्वर में श्वास चलने को "पिंगला" कहा जाता है। दोनों छिद्रों से
चलने वाली श्वास प्रक्रिया "सुषुम्ना स्वर" कहलाती है।
स्वरोदय विज्ञान की मान्यता के अनुसार पूर्व और उत्तर दिशा में चन्द्र
तथा पश्चिम और दक्षिण दिशा में सूर्य रहता है। इस कारण जब नासिका से सूर्य
स्वर चले तो पश्चिम और दक्षिण दिशा में तथा जब नासिका से चन्द्र स्वर चले
तो पूर्व और उत्तर दिशा में जाना अशुभ फल देने वाला होता है। चन्द्र स्वर
चलने पर बायां पैर और सूर्य स्वर चलने पर दाहिना पैर आगे बढाकर यात्रा करना
शुभ होता है।
चन्द्र स्वर चलते समय किये गए समस्त कार्यों में सफलता प्राप्त
होती है। पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए यदि स्त्री के साथ प्रसंग के आरम्भ
में पुरुष का सूर्य स्वर चले तथा समापन पर चन्द्र स्वर चले तो शुभ होता
है।
सूर्य स्वर चलने के दौरान अध्ययन एवं अध्यापन करना, शास्त्रों का
पठन-पाठन, पशुओं की खरीद-फरोख्त,औषधि सेवन, शारीरिक श्रम, तंत्र-मन्त्र
साधना, वाहन का शुभारम्भ करना जैसे कार्य किये जा सकते हैं। जबकि चन्द्र
स्वर चलते समय गृह प्रवेश, शिक्षा का शुभारम्भ, धार्मिक अनुष्ठान, नए
वस्त्र और आभूषण धारण करना, भू-संपत्ति का क्रय-विक्रय, नए व्यापार का
शुभारम्भ, नवीन मित्र सम्बन्ध बनाना, कृषि कार्य और पारस्परिक विवादों का
निस्तारण करना जैसे कार्य शुभ फल देने वाले हो।
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