ऐसे करें श्राद्ध, मिलेगा पितरों का पूर्ण आशीर्वाद
Astrology Articles I Posted on 18-09-2016 ,09:49:57 I by:
सामान्यत: दोपहर 12 बजे के लगभग करना ठीक माना जाता है। इसे किसी सरोवर,
नदी या फिर अपने घर पर भी किया जा सकता है। परंपरा अनुसार, अपने पितरों के
आवाहन के लिए भात, काले तिल व घिक का मिश्रण करके पिंड दान व तर्पण किया
जाता है। इसके पश्चात विष्णु भगवान व यमराज की पूजा-अर्चना के साथ-साथ अपने
पितरों की पूजा भी की जाती है।
अपनी तीन पीढ़ी पूर्व तक के
पूर्वजों की पूजा करने की मान्यता है। ब्राह्मण को घर पर आमंत्रित कर
सम्मानपूर्वक उनके द्वारा पूजा करवाने के उपरांत अपने पूर्वजों के लिए
बनाया गया विशेष भोजन समर्पित किया जाता है। फिर आमंत्रित ब्राह्मण को भोजन
करवाया जाता है। ब्राह्मण को दक्षिणा, फल, मिठाई और वस्त्र देकर प्रसन्न
किया जाता है व चरण स्पर्श कर सभी परिवारजन उनसे आशीष लेते हैं।
पित
पृक्ष में पिंड दान अवश्य करना चाहिए ताकि देवों व पितरों का आशीर्वाद मिल
सके। अपने पितरों के पसंदीदा भोजन बनाना अच्छा माना जाता है। सामान्यत:
पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों के लिए कद्दू की सब्जी, दाल-भात, पूरी व खीर
बनाना शुभ माना जाता है। पूजा के बाद पूरी व खीर सहित अन्य सब्जियां एक
थाली में सजाकर गाय, कुत्ता, कौवा और चींटियों को देना अति आवश्यक माना
जाता है।
कहा जाता है कि कौवे व अन्य पक्षियों द्वारा भोजन ग्रहण
करने पर ही पितरों को सही मायने में भोजन प्राप्त होता है, क्योंकि
पक्षियों को पितरों का दूत व विशेष रूप से कौवे को उनका प्रतिनिधि माना
जाता है। पितृ पक्ष में अपशब्द बोलना, ईर्ष्या करना, क्रोध करना बुरा माना
जाता है व इनका त्याग करना ही चाहिए।
इस दौरान घर पर लहसुन, प्याज,
नॉन-वेज और किसी भी तरह के नशे का सेवन वर्जित माना जाता है। पीपल के पेड़
के नीचे शु्द्ध घी का दिया जलाकर गंगा जल, दूध, घी, अक्षत व पुष्प चढ़ाने
से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। घर में गीता का पाठ करना भी इस अवधि
में काफी अच्छा माना गया है।
यह सब करके आप अपने पितरों का पूर्ण
आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यदि इस अवसर पर अपने पूर्वजों के सम्मान में
उनके नाम से प्याऊ, स्कूल, धर्मशाला आदि के निर्माण में सहयोग करें तो माना
जाता है कि आपके पूर्वज आप पर अति कृपा बनाए रखते हैं।
यह
महत्वपूर्ण है कि पितरों को धन से नहीं, बल्कि भावना से प्रसन्न करना
चाहिए। विष्णु पुराण में भी कहा गया है कि निर्धन व्यक्ति जो नाना प्रकार
के पकवान बनाकर अपने पितरों को विशेष भोजन अर्पित करने में सक्षम नहीं हैं,
वे यदि मोटा अनाज या चावल या आटा और यदि संभव हो तो कोई सब्जी-साग व फल भी
यदि पितरों को प्रति पूर्ण आस्था से किसी ब्राह्मण को दान करता है तो भी
उसे अपने पूर्वजों का पूरा आशीर्वाद मिल जाता है।
यदि मोटा अनाज व
फल देना भी मुश्किल हो तो वो सिर्फ अपने पितरों को तिल मिश्रित जल को तीन
उंगुलियों में लेकर तर्पण कर सकता है, ऐसा करने से भी उसकी पूरी प्रक्रिया
होना माना जाता है। श्राद्ध व तर्पण के दौरान ब्राह्मण को तीन बार जल में
तिल मिलाकर दान देने व बाद में गाय को घास खिलाकर सूर्य देवता से प्रार्थना
करते हुए कहना चाहिए कि मैंने अपनी सामर्थ्य के अनुसार जो किया उससे
प्रसन्न होकर मेरे पितरों को मोक्ष दें, तो इससे आपके पितरों को मोक्ष की
प्राप्ति हो जाती है व व्यक्ति का पूर्ण श्राद्ध का फल प्राप्त हो जाता है।
यदि माता-पिता, दादा-दादी इत्यादि किसी के निधन की सही तिथि का
ज्ञान नहीं हो तो इस पर्व के अंतिम दिन यानी अमावस्या को जो इस बार 30
सितंबर की है, पर उनका श्राद्ध करने से पूर्ण फल मिल जाता है।