तन-मन को स्वस्थ और धन को कब्जे में लेने के लिए करें गौ की ऐसी सेवा

नवग्रहों की शांति के संदर्भ में गाय की विशेष भूमिका होती है कहा तो यह भी जाता है कि गोदान से ही सभी अरिष्ट कट जाते हैं। शनि की दशा, अंतरदशा, और साढेसाती के समय काली गाय का दान मनुष्य को कष्ट मुक्त कर देता है। कहते हैं सबकुछ पाना है तो केवल गाय की पूजा कर लें किसी भी बात की कमी नहीं रहेगी।


गौ माता जिस जगह खड़ी रहकर आनंदपूर्वक चैन की सांस लेती है, वहां वास्तु दोष स्वतः ही समाप्त हो जाते हैं।
गौ माता के शरीर में तैंतीस कोटी देवी देवताओं का वास है। जिस जगह गौ माता खुशी से रंभाने लगे उस देवी देवता भी पुष्प वर्षा करते हैं, अतः उन्हें प्रसन्न करने की हरसंभव चेष्टा कीजिए। गौ माता के गले में घंटी जरूर बांधे, गाय के गले में बंधी घंटी बजने से गौ आरती होती है।
जो व्यक्ति गौ माता की सेवा और पूजा करता है उस पर आने वाली सभी प्रकार की विपदाओं को गौ माता हर लेती है। गौ माता के खुर्र में नागदेवता का वास होता है, जहां गौ माता विचरण करती है उस जगह सांप बिच्छू या कोई भी विषधर जंतु नहीं आते।
गौ माता के गोबर में लक्ष्मी जी का वास होता है और उसको कंडे को जलने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
गौ माता के मुत्र में गंगाजी का वास होता है। गौ माता के गोबर से बने उपलों का रोजाना घर दुकान मंदिर परिसरों पर धूप करने से वातावरण शुद्ध होता है सकारात्मक ऊर्जा मिलती है, नियमित उनमे अग्नि प्रजवलित कर गौ घी से हवन करने से समृद्धि बढ़ती है और समस्या संकट का नाश होता है।
गौ माता के एक आंख में सूर्य व दूसरी आंख में चन्द्र देव का वास होता है। गाय इस धरती पर साक्षात देवता है। गौ माता अन्नपूर्णा देवी है, कामधेनु है और समस्त मनोकामना पूर्ण करने वाली है।
गौ माता के दूध मे सुवर्ण तत्व पाया जाता है जो प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। गौ माता की पूंछ में हनुमानजी का वास होता है।
किसी व्यक्ति को बुरी नजर हो जाए तो गौ माता की पूंछ से झाड़ा लगाने से नजर उतर जाती है। गौ माता की पीठ पर एक उभरा हुआ कुबड़ होता है। उस कूबड़ में सूर्य केतु नाड़ी होती है। रोजाना सुबह आधा घंटा गौ माता की कुबड़ में हाथ फेरने से रोगों का नाश होता है।
गौ माता का दूध अमृत है। गौ माता धर्म की धुरी है, गौ माता के बिना धर्म कि कल्पना नहीं की जा सकती, उनकी परिक्रमा मात्र से ही सभी तीर्थो का पुण्य मिलता है।
गौ माता सर्वो देवमयी सर्वोवेदमयी है। गौ माता के बिना देवों वेदों की पूजा अधूरी है।

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