आप जानते हैं कि भगवान श्रीराम की कुंडली में क्या लिखा था?
Astrology Articles I Posted on 11-10-2016 ,09:28:13 I by: Amrit Varsha
आपने कभी भगवान राम की कुंडली देखी है। बहुत कम लोग होंगे जिन्हेंक ऐसा सौभाग्य मिला होगा। ज्यो्तिषीय दृष्टिकोण से देखा जाए तो भगवान श्री राम की कुंडली (देखें कुंडली) में केवल राम के ही शक्तिशाली होने की बात नहीं है। इसमें रावण के पराक्रम की झलक भी मिलती है।
अब तक मिली राम की कुंडलियों में से उनके गुणों को प्रदर्शित करने वाली सबसे करीबी कुंडली कर्क लग्न की कुंडली है।
इस कुंडली में कर्क लग्न में गुरु बैठा है। यहां आकर गुरु उच्च का हो जाता है। यही गुरु राम का छठे भाव का मालिक भी है। यानी षष्ठेश उच्च का होकर राम के लग्न में बैठा था।
किसी भी कुंडली में शत्रु की यह बेहतरीन स्थिति है।
कुंडली के छठे घर के बलवान होने से तथा किसी विशेष शुभ ग्रह के प्रभाव में होने से कुंडली धारक अपने जीवन में अधिकतर समय अपने शत्रुओं तथा प्रतिद्वंदियों पर आसानी से विजय प्राप्त कर लेता है। उसके शत्रु अथवा प्रतिद्वंदी उसे कोई विशेष नुकसान पहुंचाने में आम तौर पर सक्षम नहीं होते।
कुंडली के छठे घर के बलहीन होने से अथवा किसी बुरे ग्रह के प्रभाव में होने से कुंडली धारक अपने जीवन में बार-बार शत्रुओं तथा प्रतिद्वंदियों के द्वारा नुकसान उठाता है तथा ऐसे व्यक्ति के शत्रु आम तौर पर बहुत ताकतवर होते हैं।
राम की कुंडली में छठा भाव तो खराब है ही, लेकिन षष्ठेश का बली होना शत्रु के बली होने का सूचक है। इसी के साथ राम की खुद की स्थिति भी पता चलती है कि लग्न में लग्नेश और उच्च के गुरु की उपस्थिति उनके आत्मबल में जबरदस्त वृद्धि करती है। यही कारण है कि शत्रु के बली होने और विपरीत परिस्थितियां होने के बावजूद राम ने रावण पर विजय प्राप्त की।