इन सिद्ध मंत्रों के जाप से मां भवानी हो जाएंगी प्रसन्न
Astrology Articles I Posted on 19-09-2017 ,10:04:43 I by: vijay
नवरात्र को विश्व की आदि शक्ति दुर्गा की पूजा का पावन पर्व माना गया है। शारदीय नवरात्र प्रतिपदा से शुरू होकर नवमी तक चलते हैं और शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा की प्रतिमाएं बनाकर प्रतिपदा से नवमी तक उनकी बड़ी निष्ठा से पूजा की जाती है व व्रत रखा जाता है तथा दशमी के दिन इन प्रतिमाओं को गंगा या अन्य पवित्र नदियों में विसर्जित कर दिया जाता है। नवरात्र नवशक्तियों से युक्त हैं और हर शक्ति का अपना-अपना अलग महत्व है। इन दिनों में दुर्गा सप्तशती में कुछ ऐसे सिद्ध मंत्र हैं, जिनके द्वारा हम अपनी मनोकामना की पूर्ति कर सकते हैं।
कैसे करें जाप
नवरात्रि के प्रतिपदा के दिन घटस्थापना के बाद संकल्प लेकर प्रातः स्नान करके दुर्गा की मूर्ति या चित्र की पंचोपचार या दक्षोपचार या षोड्षोपचार से गंध, पुष्प, धूप दीपक नैवेद्य निवेदित कर पूजा करें। मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें। शुद्ध-पवित्र आसन ग्रहण कर रुद्राक्ष, तुलसी या चंदन की माला से मंत्र का जाप एक माला से पाँच माला तक पूर्ण कर अपना मनोरथ कहें। पूरी नवरात्रि जाप करने से मनोवांच्छित कामना अवश्य पूरी होती है। उपरोक्त सारे मंत्र विधिनुसार करने पर मनुष्यर अपने पापों और कष्टोंम को दूर करके माता के आशीर्वाद का पात्र बन जाता है। नवरात्रि में संयमपूर्वक की गई प्रार्थना और भक्ति माता स्वीकार करती है और साथ ही अपने भक्तों के कष्टों का निवारण करते हुए उन्हें मोक्ष प्राप्ति का मार्ग दिखाती है।
सर्वकल्याण के लिएसर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुऽते॥
आरोग्य एवं सौभाग्य प्राप्ति के लिएदेहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि॥
बाधा मुक्ति एवं धन-पुत्रादि प्राप्ति के लिए
सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः।
मनुष्यों मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय॥
सुलक्षणा पत्नी प्राप्ति के लिए
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्ग संसारसागस्य कुलोद्भावाम्।।
दरिद्रता नाश के लिए
दुर्गेस्मृता हरसि भतिमशेशजन्तो: स्वस्थैं: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दरिद्रयदुखभयहारिणी कात्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता।।
शत्रु नाश के लिए
ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टारनां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वाम् कीलय बुद्धिम्विनाशाय ह्रीं ॐ स्वाहा।।
सर्वविघ्ननाशक मंत्र
सर्वबाधा प्रशमनं त्रेलोक्यस्यखिलेशवरी।
एवमेय त्वया कार्य मस्माद्वैरि विनाशनम्॥
ऐश्वर्य प्राप्ति एवं भय मुक्ति मंत्रऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः।
शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सान किं जनै॥
विपत्तिनाशक मंत्रशरणागतर्दिनार्त परित्राण पारायणे।
सर्वस्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोऽतुते॥
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