मन पर पूर्ण नियंत्रण और तेज पाने के लिए करें इस देव की उपासना
Astrology Articles I Posted on 09-11-2016 ,21:47:13 I by: Amrit Varsha
मन पर अधिकार रखने वाले चंद्रमा की गति सर्वाधिक तेज मानी जाती है। शिवाराधना से हमारा चंद्रमा मजबूत होता है। शास्त्रानुसार चंद्रमा की गति पर नियंत्रण शिवोपासना के माध्यम से ही संभव है।
ज्योतिष में मन का कारक चंद्रमा को बताया गया है। जिस तरह राशियों, नक्षत्रों और तारों के बीच चंद्रमा सबसे तेज रफ्तार का ग्रह है, ठीक उसी तरह मन की भी गति है। चंद्रमा पर शिव का अधिकार है। शिव की आराधना हमारे चंद्रमा को मजबूती देती है, इसी से हम अपने मन पर नियंत्रण करने में क्षम हो पाते हैं।
शिव की आराधना से चंद्रमा होता शांत
मन पर नियंत्रण हमें क्रोध पर नियंत्रण, अवसाद से मुक्त रहने, उत्साहित बने रहने, लंबी सोच की ताकत देने, नकारात्मकता को नियंत्रित करने, स्फुरित विचारों पर नियंत्रण, निर्णय लेने की क्षमता में बढ़ोतरी और परिस्थितियों से सामना करने की ताकत देता है। चंद्रमा का यह उपचार हमें चिंता से मुक्त रख सकता है। आधुनिक मनोवैज्ञानिकों का भी मानना है तेजी से दौड़ रही इस दुनिया में अधिकांश बीमारियों का कारण चिंता है। एक ओर कहा जाता है कि अगर चिंता न हो तो हम काम करने के लिए प्रेरित नहीं होंगे और दूसरी ओर चिंता अधिक होने पर हम किसी काम को करने लायक नहीं रहेंगे। ऐेसे में मजबूत मन या मानसिकता हमें चिंता पर अपेक्षित नियंत्रण का अधिकार देती है। चंद्रमा पर शिव का अधिकार है। पौराणिक दृश्यों में भी चंद्रमा को शिव के मस्तक पर शोभायमान बताया गया है। शिव की आराधना करने से हमारा चंद्रमा मजबूत होता है। इसीलिए श्रावण मास में ब्राह्मण रुद्र अष्टाध्यायी का पाठ कर शिव का प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।
ओम नम: शिवाय है महामंत्र
हर व्यक्ति रुद्री नहीं कर सकता। ऐसे में आम लोगों को शिव के महामंत्र का जाप करना चाहिए। यह मंत्र है ओम नम: शिवाय। हम अपनी आम जिंदगी में इसे इतनी बार और इतने स्थानों पर सुनते हैं कि लगता है कि सामान्य मंत्र है, लेकिन कर्मकांड के प्रकांड ज्ञाताओं से लेकर तांत्रिकों तक का मत है कि यह सर्वश्रेष्ठ और महान मंत्र है। किसी के मन को शांति देने के लिए इस मंत्र की एक माला का जप पर्याप्त है। जो जातक मन पर नियंत्रण चाहते हैं वे इस श्रावण मास में रोजाना सुबह अथवा शाम के समय शिव मंदिर जाएं और शिवलिंग पर जल अथवा दूध की धारा प्रवाहित करते हुए इस मंत्र का जाप करते रहें।