इन आठ सिद्धियों के बारे में हर आदमी को जानना है जरूरी
Astrology Articles I Posted on 02-11-2017 ,15:58:42 I by: vijay
हनुमानजी को जिन आठ सिद्धियों का स्वामी तथा दाता बताया गया है, उन
सिद्धियों के बारे में हर आदमी को जानना बेहद जरूरी है। इनके बारे में
जानकारी होने भर से व्यक्ति समृद्ध होने लगता है-
1.अणिमा: इस
सिद्धि के बल पर हनुमानजी कभी भी अति सूक्ष्म रूप धारण कर सकते हैं। इस
सिद्धि का उपयोग हनुमानजी तब किया जब वे समुद्र पार कर लंका पहुंचे थे।
हनुमानजी ने अणिमा सिद्धि का उपयोग करके अति सूक्ष्म रूप धारण किया और पूरी
लंका का निरीक्षण किया था। अति सूक्ष्म होने के कारण हनुमानजी के विषय में
लंका के लोगों को पता तक नहीं चला।
2. महिमा: इस सिद्धि के बल पर हनुमान ने कई बार विशाल रूप धारण किया
है। जब हनुमानजी समुद्र पार करके लंका जा रहे थे, तब बीच रास्ते में सुरसा
नामक राक्षसी ने उनका रास्ता रोक लिया था। उस समय सुरसा को परास्त करने के
लिए हनुमानजी ने स्वयं का रूप सौ योजन तक बड़ा कर लिया था। इसके अलावा माता
सीता को श्रीराम की वानर सेना पर विश्वास दिलाने के लिए महिमा सिद्धि का
प्रयोग करते हुए स्वयं का रूप अत्यंत विशाल कर लिया था।
3. गरिमा: इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी स्वयं का भार किसी
विशाल पर्वत के समान कर सकते हैं। गरिमा सिद्धि का उपयोग हनुमानजी ने
महाभारत काल में भीम के समक्ष किया था। एक समय भीम को अपनी शक्ति पर घमंड
हो गया था। उस समय भीम का घमंड तोड़ने के लिए हनुमानजी एक वृद्ध वानर रूप
धारक करके रास्ते में अपनी पूंछ फैलाकर बैठे हुए थे। भीम ने देखा कि एक
वानर की पूंछ से रास्ते में पड़ी हुई है, तब भीम ने वृद्ध वानर से कहा कि
वे अपनी पूंछ रास्ते से हटा लें। तब वृद्ध वानर ने कहा कि मैं वृद्धावस्था
के कारण अपनी पूंछ हटा नहीं सकता, आप स्वयं हटा दीजिए। इसके बाद भीम वानर
की पूंछ हटाने लगे, लेकिन पूंछ टस से मस नहीं हुई। भीम ने पूरी शक्ति का
उपयोग किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। इस प्रकार भीम का घमंड टूट गया।
4. लघिमा: इस सिद्धि से हनुमानजी स्वयं का भार बिल्कुल हल्का कर सकते
हैं और पलभर में वे कहीं भी आ-जा सकते हैं। जब हनुमानजी अशोक वाटिका में
पहुंचे, तब वे अणिमा और लघिमा सिद्धि के बल पर सूक्ष्म रूप धारण करके अशोक
वृक्ष के पत्तों में छिपे थे। इन पत्तों पर बैठे-बैठे ही सीता माता को अपना
परिचय दिया था।
5. प्राप्ति: इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी किसी
भी वस्तु को तुरंत ही प्राप्त कर लेते हैं। पशु-पक्षियों की भाषा को समझ
लेते हैं, आने वाले समय को देख सकते हैं। रामायण में इस सिद्धि के उपयोग से
हनुमानजी ने सीता माता की खोज करते समय कई पशु-पक्षियों से चर्चा की थी।
माता सीता को अशोक वाटिका में खोज लिया था।
6. प्राकाम्य: इसी सिद्धि की मदद से हनुमानजी पृथ्वी गहराइयों में
पाताल तक जा सकते हैं, आकाश में उड़ सकते हैं और मनचाहे समय तक पानी में भी
जीवित रह सकते हैं। इस सिद्धि से हनुमानजी चिरकाल तक युवा ही रहेंगे। साथ
ही, वे अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी देह को कारण कर सकते हैं। इस सिद्धि
से वे किसी भी वस्तु को चिरकाल तक प्राप्त कर सकते हैं। इस सिद्धि की मदद
से ही हनुमानजी ने श्रीराम की भक्ति को चिरकाल का प्राप्त कर लिया है।
7. ईशित्व: इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी को दैवीय शक्तियां प्राप्त
हुई हैं। ईशित्व के प्रभाव से हनुमानजी ने पूरी वानर सेना का कुशल नेतृत्व
किया था। इस सिद्धि के कारण ही उन्होंने सभी वानरों पर श्रेष्ठ नियंत्रण
रखा। साथ ही, इस सिद्धि से हनुमानजी किसी मृत प्राणी को भी फिर से जीवित कर
सकते हैं।
8. वशित्व: इस सिद्धि के प्रभाव से हनुमानजी जितेंद्रिय हैं और
मन पर नियंत्रण रखते हैं। वशित्व के कारण हनुमानजी किसी भी प्राणी को तुरंत
ही अपने वश में कर लेते हैं। हनुमान के वश में आने के बाद प्राणी उनकी
इच्छा के अनुसार ही कार्य करता है। इसी के प्रभाव से हनुमानजी अतुलित बल के
धाम हैं।
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