महादेव पर चढे प्रसाद को खाने से लगता है पाप? प्रसाद के बारे में रखें इन बातों का ध्यान
Astrology Articles I Posted on 19-05-2017 ,08:58:40 I by: Amrit Varsha
देवों के देव महादेव के बारे में कहा जाता है कि शिव पर चढाया प्रसाद खाना नहीं चाहिए। प्रसाद से जुडे कई और भ्रम हैं जिनके बारे में जानना बेहद जरूरी है-
सभी देवी-देवताओं का प्रसाद लोग ग्रहण करते हैं और महादेव का प्रसाद ग्रहण करने से बहुत से लोग हिचकते हैं। शिव जी के प्रसाद को लेकर लोगों के मन में यह भय रहता है कि प्रसाद ग्रहण करने से पाप लगेगा और गरीब हो जाएंगे।
इस मान्यता के पीछे कारण यह है कि शिव जी के मुख से चण्डेश्वर नाम का गण प्रकट हुआ है।
चण्डेश्वर भूत-प्रेतों का प्रधान है। शिवलिंग पर चढ़ा हुआ प्रसाद चण्डेश्वर का भाग होता है। चण्डेश्वर का अंश यानी प्रसाद ग्रहण करना भूत-प्रतों का अंश खाना माना जाता है। इसलिए कहा जाता है कि शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद नहीं खाना चाहिए।
भगवान् के मंदिर में भी हम प्रसाद चढ़ाते हैं और वहां प्रसाद का कुछ भाग उपस्थित श्रद्धालुओं को भी बांटते हैं।
प्रसाद ग्रहण करने का सही तरीका हमें भगवान् की कृपा का पात्र बनता है। जब भी हमें किसी देवी-देवता के पूजन के उपरान्त प्रसाद प्राप्त हो, पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ उन देवी-देवता का ध्यान लगाते हुए प्रसाद को अपने मस्तक से लगाकर प्रसन्न भाव से उसे ग्रहण करना चाहिए।
प्रसाद को कभी भी ज़मीन पर नीचे नहीं गिराना चाहिए। प्रसाद को झूठा भी नहीं छोड़ना चाहिए। प्रसाद का भूल कर भी अपमान नहीं करना चाहिए।
यदि व्रत, उपवास अथवा अन्य कारणों से प्रसाद ग्रहण न करना हो तो भी प्रसाद को ग्रहण करने से इन्कार नहीं करना चाहिए बल्कि दिया गया प्रसाद प्राप्त करके अपने पास रख लेना चाहिए।
यदि प्रसाद की प्रकृति शीघ्र खराब होने वाली हो तो उसे किसी बच्चे या भक्त को दे देना चाहिए।
प्रसाद के साथ तुलसी दल प्राप्त हो तो तुलसी दल को दांतों से चबाए बिना ग्रहण करना चाहिए।
यदि किसी कारण से प्रसाद ज़मीन पर गिर गया हो तो तत्काल भगवान् से क्षमा याचना करते हुए प्रसाद को एकत्र कर गौ माता को खिला देना चाहिए। इस प्रकार एकत्र किये गए प्रसाद को बाहर फेंकना घोर पाप होता है।
जानबूझ कर प्रसाद का तिरस्कार करना, पैरों से ठुकराना, प्रसाद ग्रहण करते समय अपवित्र विचार रखना भी अनुचित माना जाता है।
भगवान् के प्रति पूर्ण भक्ति-भाव और विश्वासपूर्ण आस्था रखते हुए प्रसाद ग्रहण करने वालों पर भगवान् की विशेष कृपा प्राप्त होती है तथा इससे जीवन में सदैव शुभता आती है।
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