घर में सही दिशा में दर्पण लगाकर लक्ष्मी को बुलाएं
Astrology Articles I Posted on 05-03-2017 ,21:49:27 I by: Amrit Varsha
दर्पण केवल चेहरा देखने, सजावट के रूप में भवन में लगाने अथवा श्रृंगार करने की वास्तु मात्र नहीं है बल्कि इसके वास्तु के सिद्धांतों के अनुसार उपयोग करने से जीवन में बहुत से बदलाव देखने को मिलते हैं तथा दर्पण के सही उपयोग से अनेक वास्तु दोषों का भी निवारण होता है।
दर्पण भी वास्तु की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी माना गया है। वास्तव में वास्तु शास्त्र के अंतर्गत दर्पण में केवल आइना ही नहीं आता बल्कि इसमें चमकदार पॉलिशयुक्त धातु की प्लेट, चमकीला फर्श और ऐसी चमकीली वास्तु भी शामिल है जिसमें अपना प्रतिबिंब देखा जा सकता है।
वास्तु के नियमों के अनुसार अगर भवन में किसी प्रकार का कोई वेध है तो उसके निवारण के लिए भवन के मुख्य प्रवेश द्वार के सामने या उत्तर दिशा की ओर दीवार पर एक बड़े आकार का दर्पण लगवा देना चाहिए। जिससे आने वाले अशुभ शक्तियां परावर्तित होकर लौट जाती हैं।
दर्पण लगवाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि दर्पण समतल और स्पष्ट प्रतिबिंब बनाता हो। दोषपूर्ण दर्पण लगाना अशुभ फलदायी होता है।
दर्पण का आकार वर्गाकार या आयताकार हो सकता है। तिकोने या अजीब आकार वाले दर्पण लगवाने से बचना चाहिए।
भवन के उत्तर-पूर्व दिशा के कोण में दर्पण लगाना अधिक लाभकर माना गया गया है इससे भवन स्वामी की आय में वृद्धि होती है तथा घर में सुख-शान्ति बनी रहती है।
दर्पण के फ्रेम का रंग श्वेत, आसमानी, हल्का नीला, हरा, क्रीम रंग का होना चाहिए। अगर कोई दुकान या कारखाना घाटे में चल रहा हो तो वहां ईशान कोण में दर्पण लगाने से लाभ होते देखा गया है।
भवन का ईशान कोण अगर कटा हुआ है तो उस भाग में अंदर की ओर दर्पण लगा देने से यह दोष दूर हो जाता है। अगर मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में कोई फ्लैट लिफ्ट के सामने आ रहा हो तो यह एक वास्तु दोष है। इससे बचाव के लिए उस घर के द्वार पर अष्टकोणीय दर्पण लगा देना शुभ माना गया है।
भवन के किसी भी द्वार के अंदर की ओर दर्पण नहीं लगाना चाहिए लेकिन अगर द्वार ईशान कोण में स्थित हो तो दर्पण लगाया जा सकता है।
वास्तु नियम के अनुसार ईशान कोण में पूर्व दिशा की ओर लगाया गया दर्पण भवन स्वामी के लिए संतान और धन सुख देने वाला होता है।
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