स्‍नान का होता है शुभ-अशुभ समय, समय के हिसाब करें स्‍नान, हो जाएंगे वारे-न्यारे

हमारे धर्म शास्त्रों में स्नान के अलग-अलग प्रकार बताए गए हैं, जो समय के अनुसार है। इसके अतिरिक्त शास्त्रों में नहाने की एक विशेष विधि भी बताई गई है। अतः यदि आप इस विधि से और सही समय पर स्नान करते है तो आपको शुभ फल प्राप्त होंगे।


स्नान के प्रकार
स्नान का सही समय आज अगर देखा जाए तो शहरों में स्नान का समय नहीं रह गया है। लेकिन शास्त्रों में हर किसी के लिए नहाने का सही समय निर्धारित किया गया है। शास्त्रों के अनुसार हमें ब्रह्म स्नान, देव स्नान या ऋषि स्नान करना चाहिए। यही सर्वश्रेष्ठ और सर्वोत्तम स्नान है।

ब्रह्म स्नान
ब्रह्म मुहूर्त में यानी सुबह लगभग 4 से 5 बजे जो स्नान भगवान का चिंतन करते हुए किया जाता है, उसे ब्रह्म स्नान कहते हैं। ऐसा स्नान करने वाले व्यक्त्ति को इष्टदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन के दुखों से मुक्ति मिलती है।
देव स्नान
यह स्नान ठीक सूर्योदय के बाद किया जाता है। यह स्नान करते समय विभिन्न नदियों के नामों का जप किया जाता है। इसके अलावा इस स्नान में विभिन्न मंत्रों का भी जप किया जाता है।
मानव स्नान
यदि कोई व्यक्ति सुबह-सुबह, 6 से 8 बजे के बीच स्नान करे तो उस स्नान को हम मानव स्नान कहते हैं। मानव स्नान एक समान्य स्नान है।

दानव स्नान
इस स्नान को हम धर्म में निषेध मानते हैं। सूर्योदय के बाद या खाना खाने के बाद जो लोग स्नान करते हैं, ऐसे स्नान को दानव स्नान कहा जाता है। हालांकि कुछ लोग रात के समय या शाम के समय नहाते हैं। उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। केवल सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण के दिन ही रात के समय स्नान करना चाहिए।

स्नान की सही विधि
स्नान के प्रकार और समय के बारे में चर्चा करने के बाद आइए अब स्नान की सही विधि के बारे में जानते हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि आप विधि अनुसार स्नान करते हैं, तो आपके घर में सुख, शांति, समृद्धि और धन वैभव प्राप्त होता है। आइए जानते हैं स्ना न की सही विधि

1. नहाते समय सबसे पहले सिर पर पानी डालना चाहिए, उसके बाद शरीर पर। वैसे माना जाता है कि इस तरह से स्नान करने से हमारे सिर एवं शरीर के ऊपरी हिस्सों की गर्मी पैरों से निकल जाती है और शरीर को अंदर तक शीतलता मिलती है।
2. स्नान करते समय किसी मंत्र का जाप करना चाहिए। आप चाहे तो कीर्तन या भजन या भगवान का नाम भी ले सकते हैं।
3. नग्न या निर्वस्त्र होकर स्नान न करें। ऐसा माना जाता है कि निर्वस्त्र स्नान करने से जल देवता का अपमान होता है।
4. स्नान के पश्चात तेल आदि की मालिश न करें और भीगे कपड़े न पहनें।
5. नहाने के बाद प्रतिदिन सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए। सूर्य को जल चढ़ाने से मान-सम्मान प्राप्ति होती है।
 6. नहाने के बाद सभी धार्मिक कर्म किए जाने चाहिए। शास्त्रों में बिना नहाए पूजन-पाठ करना वर्जित किया गया है।
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