बृहस्पति की पूजा करने से सभी परेशानियां होती है दूर

गुरू ग्रह ज्योतिष के नव ग्रहों में सबसे अधिक शुभ ग्रह माने जाते हैं। ये ज्ञान और वाग्मिता के देवता माने जाते हैं। जीवन में हर क्षेत्र में सफलता के पीछे गुरू ग्रह की स्थिति बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यदि कुंडली में गुरू मजबूत हो तो सफलता का कदम चूमना बिल्कुल तय है। सफलता के पीछे सकारात्मक उर्जा का होना महत्वपूर्ण होता है और यही काम गुरू करते हैं। गुरू जीवन के ज्यादातर क्षेत्रों में सकारात्मक उर्जा प्रदान करने में सहायक होते हैं।


अपने सकारात्मक रूख के चलते व्यक्ति कठिन से कठिन समय को आसानी से सुलझा लेता है। यदि कुंडली में गुरू ग्रह (बृहस्पति) से संबंधित कोई दोष हो तो उसकी शांति के लिए गुरूवार को विशेष पूजा किया जाता है। बृहस्पति देवताओं के गुरू भी हैं। गुरू वैवाहिक जीवन व भाग्य का कारक ग्रह है।

(1) जातक गुरूवार को व्रत रखें और इस दिन विशेष रूप से पीले रंग के कपड़े पहने। खाने में पीले रंग की खाद्य पदार्थ जैसे बेसन के लड्डू, आम, केले आदि शामिल करें।

(2) गुरूवार के दिन बृहस्पति की प्रतिमा या फोटो को पीले वस्त्र पर विराजित करें। इसके बाद विधि-विधान के हिसाब से पूजा करें। पूजन में केसरिया चंदन, पीले चावल, पीले फूल व भोग में पीले पकवान या फल अर्पित करें।

(3) गुरू मंत्र का जप करें- मंत्र- ओम बृं बृहस्पते नम:। मंत्र जप की संख्या कम से कम 108 होनी चाहिए।

(4) गुरू से संबंधी पीली वस्तुओं का जरूर दान करें। पीली वस्तु जैसे सोना, हल्दी, चने की दाल, आम (फल) आदि।
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