घर बैठे सभी 12 ज्योर्तिलिंगों को किया जा सकता है प्रसन्न, जपें केवल ये चमत्कारी मंत्र
Astrology Articles I Posted on 30-10-2017 ,17:11:29 I by: Amrit Varsha
ज्योर्तिलिंग, महादेव का निराकार, अनादि-अनंत, स्वयंभू और चमत्कारी स्वरूप माना गया है। ज्योर्तिलिंग के दर्शन ही नहीं नाम स्मरण ही जीवन की हर मुसीबतों या संकट से मुक्त करने वाला माना गया है। लेकिन सभी ज्योणर्तिलिंगों पर जाना संभव नहीं है ऐसे में कुछ खास मंत्रों के जप मात्र से सभी महादेवों को प्रसन्न किया जा सकता है।
शास्त्रों में पाप, पीड़ा और संकटनाशक 12 ज्योर्तिलिंगों के स्मरण का महत्व बताया गया है। इन ज्योर्तिलिंगों में एक का भी सवेरे या शाम स्मरण करने से जीवन सुखमय हो जाता है। 12 ज्योर्तिलिंगों की मंत्र स्तुति के 12 चमत्कारी शिव मंत्रों का स्मरण शाम व रात्रि में करने पर जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती है। सोमवार, प्रदोष व चतुर्दशी तिथियों पर इन मंत्रों की स्तुति से मनचाही सिद्धि प्राप्त होती है। सुबह नहाने के बाद शिव की पंचोपचार पूजा में जल, चंदन, अक्षत, बिल्वपत्र, फूल चढ़ाकर यहां बताए मंत्रों का क्रम से ध्यान करें –
सोमनाथ ज्योर्तिलिंग (सौराष्ट्र, गुजरात)-
सौराष्ट्रदेशे विशदेतिरम्ये ज्योतिर्मयं चन्द्रकलावतंसम्।
भक्तिप्रदानाय कृपावतीर्णं तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये ।।सोमनाथ के इस मंत्र के साथ पूजन व दर्शन मात्र से व्यक्ति के कुष्ठ व क्षय रोग मिट जाते हैं और यहां के कुंड में छह माह तक स्नान करने से असाध्य रोग नष्ट होते हैं।
मल्लिकार्जुन ज्योर्तिलिंग (श्रीशैलम, आंध्रप्रदेश)-
श्रीशैलशृंगे विबुधातिसंगे तुलाद्रितुंगेऽपि मुदा वसन्तम्।
तमर्जुनं मल्लिकपूर्वमेकं नमामि संसारसमुद्रसेतुम्।श्रीशैल शिखर के इस मंत्र के साथ दर्शन मात्र से मनुष्य सब कष्ट दूर हो जाते हैं और अपार सुख प्राप्त कर जनम-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है यानी मोक्ष प्राप्त होता है।
श्री महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग (उज्जैन, मध्यप्रदेश)
अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्।
अकालमृत्यो: परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम्।।
भगवान महाकालेश्वर को भक्ति, शक्ति एवं मुक्ति का देव माना जाता है । इसलिए इस ज्योर्तिलिंग मंत्र के स्मरण व इनके दर्शन मात्र से सभी कामनाओं की पूर्ति एवं मोक्ष प्राप्ति होती है। काल भय भी नहीं सताता।
ममलेश्वर-ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग (इंदौर, मध्यप्रदेश )
कावेरिकानर्मदयो: पवित्रे समागमे सज्जनतारणाय।
सदैव मान्धातृपुरे वसन्तमोंकारमीशं शिवमेकमीडे।।
इस मंत्र के साथ ज्योतिर्लिंङ्ग के दर्शन मात्र से व्यक्ति सभी कामनाएं पूर्ण होती है। इसका उल्लेख ग्रंथों में भी मिलता है- शंकर का चौथा अवतार ओंकारनाथ है। यह भी भक्तों के समस्त इच्छाएं पूरी करते हैं और अंत में सद्गति प्रदान करते हैं।
वैद्यनाथ ज्योर्तिलिंग (परली, महाराष्ट्र)पूर्वोत्तरे प्रज्वलिकानिधाने सदा वसन्तं गिरिजासमेतम्।
सुरासुराराधितपादपद्मं श्रीवैद्यनाथं तमहं नमामि।।वैद्यनाथ न केवल कुष्ठï रोग से लोगों को मुक्त करते हैं बल्कि वे सभी रोगों को दूर करते हैं। इसी कारण बुरा व्यक्ति भी इनके दर्शन से अच्छा बनने लगता है। उसमें आध्यात्मिक गुणों का विकास होने लगता है और सद्गति प्राप्त होती है। ये वैद्य से भी बढक़र हैं।
श्री भीमाशंकर ज्योर्तिलिंग (डाकिनी, महाराष्ट्र)
यं डाकिनीशाकिनिकासमाजे निषेव्यमाणं पिशिताशनैश्च।
सदैव भीमादिपदप्रसिद्धं तं शंकरं भक्तहितं नमामि।।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंङ्ग के इस मंत्र के साथ दर्शन, स्मरण व पूजा करने वाले की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यहां पवित्र नदी भी है। कहा जाता है कि भगवान जनार्दन ही इसमें जल के रूप में हैं।
रामेश्वरम् ज्योर्तिलिंग (तमिलनाडु)
सुताम्रपर्णीजलराशियोगे निबध्य सेतुं विशिखैरसंख्यै:।
श्रीरामचन्द्रेण समर्पितं तं रामेश्वराख्यं नियतं नमामि।।
इस मंत्र के साथ ज्योतिर्लिङ्ग दर्शन, स्मरण व पूजा कर गंगाजल चढ़ाने वाले के सभी दु:ख दूर होते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि दूध, दही और नारियल के जल से ज्योतिर्लिङ्ग को स्नान कराने वाले व्यक्ति की कई पीढिय़ों का उद्धार होता है।
श्री नागेश्वर ज्योर्तिलिंग (दारुकावन, महाराष्ट्र)
याम्ये सदंगे नगरेतिऽरम्ये विभूषितांगम् विविधैश्च भोगै:।
सद्भक्तिमुक्तिप्रदमीशमेकं श्रीनागनाथं शरणं प्रपद्ये।।
इस मंत्र के साथ नागेश ज्योतिर्लिंङ्ग के दर्शन व पूजन से तीनों लोकों की कामनाएं पूरी होती हैं। इसका उल्लेख शिवपुराण में भी है। कि ऐसा करने से सभी दु:ख दूर होते हैं और उसे सुख-समृद्धि मिलती है। केवल दर्शन मात्र से ही पापों से छुटकारा मिल जाता है।
श्री विश्वनाथ ज्योर्तिलिंग (वाराणसी)सानन्दमानन्दवने वसन्तमानन्दकन्दं हतपापवृन्दम्।
वाराणसीनाथमनाथनाथं श्रीविश्वनाथं शरणं प्रपद्ये।।
इस मंत्र के साथ विश्वेश्वर के दर्शन के बाद व्यक्ति को सुख, समृद्धि और मोक्ष प्राप्त होता है। कहते हैं कि विश्वेश्वर ज्योतिर्लिङ्ग को स्पर्श यानि छूने भर से ही राजसूय यज्ञ का फल मिलता है। पंचामृत आदि से पूजा करने वाले व्यक्ति को अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो दर्शनार्थी उपवास करके ब्राह्मïणों को संतुष्ट करता है उसे सौत्रामणि यज्ञ का फल मिलता है। नारद पुराण के मुताबिक दर्शन के बाद ब्राह्मण को दान देने से व्यक्ति की उन्नति होती है।
त्र्यम्बकेश्वर ज्योर्तिलिंग (नासिक)
सह्याद्रिशीर्षे विमले वसन्तं गोदावरीतीरपवित्रदेशे।
यद्दर्शनात् पातकमाशु नाशं प्रयाति तं त्रयम्बकमीशमीडे।त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिङ्ग के इस मंत्र स्मरण के साथ दर्शन और उनको स्पर्श करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। व्यक्ति को मोक्षपद प्राप्त होता है । इनका पूजन करने वालों को लोक-परलोक में सदा आनन्द रहता है ।
श्री केदारनाथ ज्योर्तिलिंग (उत्तरांचल)
महाद्रिपार्श्वे च तटे रमन्तं सम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रैः।
सुरासुरैर्यक्षमहोरगाद्यै: केदारमीशं शिवमेकमीडे।।
केदारनाथ ज्योर्तिलिंग को कड़ा चढ़ाने की परंपरा है। इस मंत्र का स्मरण कर कड़ा चढ़ाने वाले व्यक्ति को दु:ख नहीं होता और मोक्ष की प्राप्ति होती है। केदारनाथ के दर्शन के बाद यहां का पानी पीने का भी महत्व है।
श्रीघृष्णेश्वर ज्योर्तिलिंग(एलोरा)
इलापुरे रम्यविशालकेस्मिन् समुल्लसन्तं च जगद्वरेण्यम्।
वन्दे महोदारतरं स्वभावं घृष्णेश्वराख्यं शरणं प्रपद्ये ।।
ज्योतिर्मयद्वादशलिंगकानां शिवात्मनां प्रोक्तमिदं क्रमेण।
स्तोत्रं पठित्वा मनुजोऽतिभक्त्या फलं तदालोक्य निजं भजेच्च॥
घुश्मेश्वर के दर्शन व पूजन से व्यक्ति के सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं और उसका जीवन सुखमय हो जाता है। साथ ही सारे पाप नष्ट होते हैं ।
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