इस स्रोत के पठन के बाद हर काम और यात्रा में मिलेगी सफलता
Astrology Articles I Posted on 09-11-2017 ,08:38:35 I by: Amrit Varsha
किसी भी यात्रा या शुभ काम करने से पहले शुभ मुहूर्त एवं शुभ शकुन विचार का अध्ययन जरूर कर लें।
किसी कार्य विशेष के लिए यात्रा करने के अवसर प्रत्येक मनुष्य के जीवन में आते ही रहते हैं। तब उसकी यह अपेक्षा रहती है कि यात्रा का उद्देश्य सफल हो तथा अपेक्षित कार्य बिना किसी व्यवधान के यथाशीघ्र पूरा हो जाए।
इसके लिए शुभ मुहूर्त और शुभ शकुन का विचार ज्योतिष शास्त्र में किया जाता है। राहुकाल में कोई भी शुभ कार्य तथा यात्रा करना निषेध माना गया है। राहुकाल का समय सोमवार को प्रात: 7 से 9 बजे तक, मंगलवार को अपराह्न 3 से 4.30 बजे तक, बुधवार को दोपहर 12 से 1.30 बजे तक, गुरुवार को दोपहर 1.30 से 3 बजे तक, शुक्रवार को प्रात: 10.30 से 12 बजे तक, शनिवार को प्रात: 9 से 10.30 बजे तक और रविवार को सायं 4.30 बजे से 6 बजे तक माना जाता है।
किसी भी उद्देश्य के लिए की जाने वाली यात्रा की शुभता के लिए शकुन विचार भी किया जाता है।
रविवार को यात्रा पर जाते समय दही, शक्कर, इलायची का सेवन करना शुभ माना जाता है। इसी तरह सोमवार को दूध-चावल की खीर, मंगलवार को दूध-दलिया, बुधवार को मीठा दूध, गुरुवार को मीठा दही, शुक्रवार को दूध अथवा दही की मीठी लस्सी तथा शनिवार को तिल मिश्रित मीठे चावल का सेवन करने के बाद की गई यात्रा शुभ व सुखद होती है। इसके साथ ही अपेक्षित कार्य के पूर्ण होने के लिए अपने इष्ट देवी व देवता की आराधना भी सच्चे हृदय से करना आवश्यक होता है।
यूं होगी यात्रा सुखद और सफल
सुखद यात्रा के लिए सप्त चिरजीवी स्त्रोत का प्रात: और सायं या रात्रि में सोने से पूर्व पाठ करना भी शुभ माना गया है।
चिरजीवी स्त्रोत का पठन नियमित पाठ से यात्रा के समय कष्ट व रोगों से राहत मिलती है तथा यात्रा के परिणाम भी शुभ होते हैं।
अश्वत्थामा बलिव्र्यासो हनुमांश्च विभीषण:।
कृप परशुरामरच सप्तैते चिरजीविन:॥
सप्तेतान संस्मेरेभित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।
जीवेद् वेर्षशांत सोअपि सर्वव्याधिविवर्जित:॥
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