अपनी राशि के अनुसार होगी पूजा-आराधना, तो नहीं रहेगी दौलत और शोहरत की कमी

प्रत्येक मनुष्य अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए अपने इष्ट देवी-देवता की पूजा अर्चना करता है। अपनी जन्म राशि के अनुसार यदि अपने इष्ट देवी-देवता की पूर्ण श्रद्धा और विश्वास से आराधना की जाए तो जीवन में अच्छे परिणाम देखने को मिल सकते हैं। यहां हम समस्त बारह जन्म राशियों के अनुसार इष्ट देवी-देवता की आराधना करने के सम्बंध में चर्चा कर रहे हैं। कई पुराणों में भी राशिवार अपने आराध्‍य देव की स्‍तुति करने को कहा गया है। कुछ ही दिनों में इसका फर्क देखने को मिल जाएगा।


मेष और वृश्चिक राशि:
इन दोनों राशियों के स्वामी ग्रह मंगल हैं। इन राशि के जातकों को पवनसुत हनुमानजी, महाकाली और तारा देवी की आराधना करने के साथ-साथ दुर्गा सप्तशती में दिए गए देवीजी के प्रथम चरित्र का पाठ करना शुभ फलदायी होता है।
वृष और तुला राशि: इन दोनों राशियों के स्वामी ग्रह शुक्र हैं, जो रजो गुण प्रधान हैं। इन जातकों को ज्ञान की देवी सरस्वती जी, गणेश जी की आराधना करना शुभ होता है। गणेशजी के व्रत करना भी इनके लिए लाभदायक होगा।
मिथुन और कन्या राशि: इन राशियों के स्वामी ग्रह बुध हैं। बुध भी रजो प्रधान ग्रह हैं। इन जातकों को माता दुर्गा और भुवनेश्वरी देवी और मां काली की आराधना करना शुभ फलदायी माना गया है। इन जातकों को साल के सभी नवरात्र भी करने चाहिए।
कर्क राशि: इस राशि के स्वामी सतो गुण प्रधान चन्द्र ग्रह हैं। ऐसे में इन जातकों को धन की देवी महालक्ष्मी जी की आराधना करनी चाहिए। श्री सूक्त के पाठ और श्री यंत्र का विधि-विधान से पूजन करना भी इन्हें खासा लाभ देता है।
सिंह राशि: इस राशि के स्वामी सतोगुण प्रधान ग्रह सूर्य है। इस राशि के जातकों को सूर्य भगवान, धन की देवी महालक्ष्मी, बगला मुखी एवं सिद्धिदात्री देवी की आराधना करनी चाहिए। इन्हें आदित्य हृदय स्रोत का पाठ भी नियमित करना चाहिए।
धनु और मीन राशि: इन दोनों राशियों के स्वामी ग्रह गुरु अर्थात बृहस्पति हैं। ये सतो गुण प्रधान हैं। इन दोनों राशियों के जातकों के लिए महालक्ष्मी, कमला और सिद्धिदात्री देवी की आराधना करना फलदायी होता है। गुरुवार के व्रत और केले के पेड़ की पूजा भी लाभ देगी।
मकर और कुंभ राशि: इन दोनों राशिओं के स्वामी ग्रह शनि हैं जो तमो प्रधान गुण रखते हैं। इन जातकों को शनि देव और महाकाली जी की उपासना करनी चाहिए।
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