दक्षिणमुखी घर लेते समय इन बातों का रखें ध्यान...
Vastu Articles I Posted on 24-06-2019 ,15:10:27 I by: vijay
अक्सर
देखा जाता है बहुत से लोग अपनी अच्छे घर को कम दाम में बेच कर चले जाते है।
कुछ लोगों की कभी-कभी ये मजबूरी होती है। लेकिन बहुत बार ऐसा होता है
संपन्न घर होते हुए भी आपके पडौसी अपना घर बेच कर दूसरी जगह शिफ्ट हो जाते
है। कभी आपने सोचा है आखिर ऐसा क्या कारण है कि आपके पडौसी कम दामों में घर
को बेचकर शिफ्ट हो गए है। दरअसल, इसके पीछे भी वास्तु दोष बताया गया है।
दक्षिणमुखी प्लाट हो या घर कई बार इसलिए सस्ते से सस्ते में बेच दिया जाता
है क्योंकि ऐसे घरों को खरीदना शुभदायी नहीं माना जाता है। ज्योतिष के
मुताबिक, मान्यता है कि ऐसे घर परिवार और परिवार की सुख-शांति और तरक्की
में बाधा डालते हैं, क्योंकि दक्षिण दिशा यम की दिशा होती है।
जिसके कारण
कई बार ऐसे प्लाट या घर बिक तक नहीं पाते। वास्तु के अनुसार, ऐसे घरों को
लोग सही नहीं मानते है। अगर दक्षिणमुखी घर या प्लाट ले रहे तो किन बातों या
वास्तु को ध्यान में रखना जरूरी है, आइए जानते हैं।
दक्षिणमुखी घर लेते समय इन बातों का रखें ध्यान...जब भी आप
दक्षिणमुखी प्लाट या घर लें तो उसका मुख्य द्वार हमेशा आग्नेय कोण पर ही
रखें क्योंकि इस कोण पर अगर मुख्य द्वार या गेट होता है तो ये दक्षिण के
नकारात्मक प्रभाव को खत्म कर देता है। याद रखें द्वार कभी भी नैऋत्य कोण पर
न हो। अगर ऐसा है तो ऐस प्लाट या घर को न लें। अगर आपने दक्षिण नैऋत्य का
घर या प्लाट ले ही लिया तो आप ऐसे वास्तु दोष से बचने के लिए उसे बेच दें,
क्योंकि ये किसी भी मायने में फलदायी नहीं होगा।
यदि अपने ऐसा घर या
प्लाट लिया है जो दक्षिण मुखी है और उसका मुख्य द्वार दक्षिण नैऋत्य पर हो
तो ऐसा घर स्त्री पक्ष पर भारी होता है। ऐसे घरों की स्त्रियों को
शारीरिक-मानिसक कष्ट बना रहता है और धन हानि भी घर में सदा रहती है। साथ ही
एक बात अवश्य ध्यान दें कि अगर ऐसे घरों में दक्षिण नैऋत्य पर द्वार भी हो
और ईशान कोण में भी वास्तु दोष नजर आता है तो ये घर अनहोनियों की वजह बनता
रहेगा। ऐसे घर का त्याग कर दें।
दक्षिण मुखी घर में अंडरवाटर सोर्स यानी फ्रेश वाटर टैंक, बोरिंग या कुआं
उत्तर दिशा, उत्तर ईशान या पूर्व दिशा के बीच होना चाहिए। साथ ही घर के
बाउंड्री वाल से सटा कर सेप्टिक टैंक उत्तर या पूर्व दिशा में ही बनाएं।
ऐसा करने से दक्षिण का वास्तु दोष खत्म हो जाता है। वहीं अगर दक्षिण मुखी
प्लाट या घर का सेप्टिक टैंक ईशान कोण में हो तो वह बेहद अशुभकारी होगा।
हालांकि किसी भी दिशा वाले घरों में ईशान कोण पर कुछ न बनवाएं। यहां केवल
देवस्थान बन सकता है।
दक्षिणमुखी घर या प्लाट पर जब भी घर बनवाएं घर का
ईशान कोण घटा, कटा, गोल, ऊंचा या तेढ़ा-मेढ़ा नहीं होना चाहिए। साथ ही
नैऋत्य कोण पर जमीन या दीवार आगे बढ़ कर भी न बनवाएं। यहां समतल हो जमीन यह
ध्यान दें।
जब भी आप दक्षिणमुखी घर बनवाएं घर को जमीन से करीब एक से दो फुट ऊंचा कर
बनवाएं। इससे दोष कम होगा। याद रखें भवन का फर्श या जमीन कहीं से भी
उबड़-खाबड़ या तेढ़ा-मेढा न हो। साफ-सफाई के लिए थोड़ा ढाल देना चाहें तो
उत्तर, पूर्व दिशा या ईशान कोण की ओर ही दें। वहीं प्लॉट के खुले भाग का
ढाल भी उत्तर, पूर्व दिशा एवं ईशान कोण की ओर होनी चाहिए।
दक्षिणमुखी
घर या प्लाट से अगर गंदे पानी की निकासी उत्तर या पूर्व दिशा में कभी न
होने दें। बाउंड्री वॉल से सटा कर पूर्व ईशान से में नाली बनाकर पूर्व
आग्नेय की ओर बहाव रखें या उत्तर ईशान से नाली बनाकर उत्तर की ओर निकालें।
दक्षिणमुखी
प्लाट लेने से पहले यह देख लें कि सामने का खाली जगह हो। या घर ले रहे तो
घर के सामने कुछ स्थान खाली हो। ऐसा वास्तुदोष को कम करता है।
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