भूलकर भी घर में पक्षी या जानवरों को नहीं करें पिंजरे में कैद, नहीं तो ....
Astrology Articles I Posted on 15-11-2017 ,11:18:37 I by: vijay
ज्योतिष के अनुसार किसी घर में कोई भी जानवर या पक्षी पिंजरे में बंद
रहता है तो उस घर से लक्ष्मी सदा के लिए रूठ जाती है। शास्त्रों में
पक्षियों की सेवा करने के निर्देश दिए गए हैं ना की उन्हें पिंजरे में बंद
करके पालने के। पक्षी कुण्डली के पांच भावों पर प्रभाव डालते है। पिंजरे
में बंद पक्षी अपशकुन का प्रतीक हैं। पक्षियों को घर में बंद करके पालना
विभिन्न तरह की समस्याओं को न्योता देना है।
शास्त्रों के अनुसार मूलतः सभी पक्षी आकाश तत्व को संबोधित करते हैं।
शास्त्रों में आकाश तत्व को मोक्ष का मार्ग कहा गया है। व्यक्ति की कुण्डली
के पांच घर आकाश तत्व को संबोधित करते हैं। ये पांच घर हैं कुण्डली का
पांचवा घर, सातवां घर, नवां घर, दूसरा घर और बारहवां घर। इन पंचों घरों पर
केतु का अधिपत्य होता है।
ज्योतिषशास्त्र की पंचपक्षी
पद्धिति इस तर्क पर आधारित है। कुण्डली का दूसरा घर सुख, धन और वैभव को
संबोधित करता है।
कुण्डली का पांचवा घर प्रेम शिक्षा वंश तथा सन्तति (बच्चों) को संबोधित
करता है। कुण्डली का सातवां घर जीवनसाथी (पति या पत्नी) संभोग को संबोधित
करता है। कुण्डली का नवां घर इष्ट और भाग्य को संबोधित करता है तथा कुण्डली
का बरवां घर नुकसान, खर्च तथा मोक्ष तथा पितृ पक्ष को संबोधित करता है।
कुण्डली के इन पंचो घरों पर विभिन्न पक्षीयों का उल्लेख शास्त्रों में किया
गया है।
ज्योतिष के अनुसार पक्षियों का हमारे जीवन पर पड़ने
वाला प्रभाव इन कुण्डली के पांचो घरों पर पड़ता है।
पक्षियों को पिंजरे में बंद करके पालने से व्यक्ति की कुण्डली पांच भाव कुछ
इस प्रकार प्रभावित होते हैं। दूसरा भाव प्रभावित होने से संचित धन का
क्षय होता है। पांचवां भाव प्रभावित होने से संतति सुख में अल्पता आती है
तथा व्यक्ति में संतानहीनता तक देखी जा सकती है। सातवां भाव प्रभावित होने
से जीवनसाथी का स्वास्थ्य बिगड़ता है तथा सुख की प्राप्ति नहीं हो पाती।
कुंडली का नवां भाव प्रभावित होने से भाग्यहीनता आती है दुर्भाग्य बढ़ता है।
बारहवां भाव प्रभावित होने से आर्थिक नुकसान होते हैं तथा व्यक्ति पितृ
दोष से पीड़ित होता है।
ज्योतिषशास्त्र कालपुरुष सिद्धांत के अनुसार व्यक्ति की कुण्डली
का द्वादश भाव अर्थात बारवां घर आकाश को संबोधित करता है। इस बारवें भाव
से व्यक्ति के घर की छत, व्यक्ति का शयन कक्ष (बेडरूम) तथा बीमारियों के
लिए व्यक्ति को अस्पताल में भरती करना देखा जाता है। लाल किताब सिद्धांत के
अनुसार कुण्डली का बारहवां घर केतु का पक्का स्थान माना गया है। इसी क्रम
में सभी पक्षी मूलतः मोक्षकारक ग्रह केतु द्वारा शाषित हैं। केतु ग्रह से
व्यक्ति के वंश का भी उल्लेख किया जाता है। अर्थात व्यक्ति के बच्चों का
स्वास्थ्य, बच्चों की संख्या तथा बच्चों के होने में गतिरोध केतु द्वारा
संचालित होते हैं। केतु ग्रह स्त्री के गर्भ धारण करने के लिए फैलोपियन
ट्यूबस् तथा पुरुष के शुक्राणुओं के मोचन के लिए जिम्मेदार होता है।
अतः घर में कभी भी पक्षियों का पिंजरे बंद करके न पालें। उन्हें
प्राकृतिक तौर पर आकाश में विचरण करने दें। छत अथवा बालकनी पर दाना पानी
रखकर उनकी सेवा आवश्य करें जिससे आपके जीवन में धन, संतति सुख, काम, भोग,
भाग्य और मोक्ष की प्रप्ति हो।
किस रंग पर है किस ग्रह का अधिकार, जानते हैं आप?
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