लाल किताब के अनुसार शनि को मनाने हैं ये चमत्कारिक उपाय

भारतीय ज्योतिष के समान ही लाल किताब में भी शनि को दु:ख एवं अभावों का कारक ग्रह माना गया है, परन्तु ऐसा सदैव नहीं है, यदि शनि शुभ स्थिति में हुआ तो उच्चस्तरीय एवं स्थायी प्रगति देता है। ऐसा शनि इच्छाधारी नाग के समान है, जो सभी अभिलाषाओं को पूर्ण करता है। सूर्य से प्रभावित होने पर यह जहरीला हो जाता है। लाल किताब में शनि को पानी का सांप, बच्चे खाने वाला सांप, किस्मत लिखने का मालिक, विधाता की कलम, किस्मत को जगाने वाला, स्वयं विधाता जैसे संबोधनों से संबोधित किया गया है। सूर्य से पूर्ण दृष्टि संबंध होने पर शनि का प्रभाव तीन गुना मंदा हो जाता है। लाल किताब के अनुसार, शनि जिस भाव में स्थित है, उस स्थिति के अनुसार ही उपाय करना चाहिए।


भावानुसार शनि के उपाय
प्रथम भाव: प्रथम भाव में शनि होने पर उसकी अनुकूलता के लिए जमीन में सुरमा दबाना चाहिए। बड़ के पेड़ की जड़ में दूध डालकर उसकी मिट्टी से माथे पर तिलक लगाना चाहिए।
द्वितीय भाव: द्वितीय भाव में स्थित होकर यदि शनि विपरीत हो, तो अपने इष्ट की पूजा, जुए-सट्टे से दूरी, धार्मिक संस्थाओं में दान आदि कार्य करने चाहिए।
तृतीय भाव: तृतीय भाव में स्थित होकर शनि प्रतिकूल फलकारक होने पर पानी में चावल बहाएं। घर में एक ऐसे कक्ष का निर्माण करवाएं, जहां पर सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंचता हो।
चतुर्थ भाव: चतुर्थ भाव में शनि होने पर रात में दूध नहीं पीना चाहिए। मछली को दाना डालना चाहिए। किसी मजदूर एवं गरीब व्यक्ति की मदद करनी चाहिए। कुएं में दूध गिराना चाहिए।
पंचम भाव: पंचम भाव में स्थित होकर शनि प्रतिकूल फल दे, तो दस बादाम धार्मिक स्थान पर जाकर चढ़ाने चाहिए तथा उनमें से 5 बादाम वापस लाकर घर में रखने चाहिए, लेकिन उन्हें खाएं नहीं। अपनी वाणी पर संयम रखें तथा खान-पान को दूषित नहीं होने दें।
षष्ठ भाव: षष्ठ भाव में स्थित शनि यदि प्रतिकूल फल दे, तो बहते हुए जल में नारियल बहाना चाहिए। घर में काले रंग का कुत्ता पालना चाहिए। सरसों के तेल से भरा हुआ मिट्टी का बर्तन किसी तालाब में भूमि के अंदर दबाना चाहिए।
सप्तम भाव: सप्तम भाव में स्थित शनि यदि विपरीत फलकारक हो, तो घर में एक पत्थर का खम्भा लगवाएं। शराब कदापि न पीएं एवं बांसुरी में मीठे पदार्थ भरकर किसी वीरान स्थान पर भूमि खोदकर गाड़ दें।
अष्टम भाव: अष्टम भाव में स्थित शनि यदि विपरीतफलकारक हो, तो चांदी का टुकड़ा सदैव अपने पास रखें। मांस-मदिरा का सेवन नहीं करें तथा बालों को छोटा रखें।
नवम भाव: नवम भाव में स्थित शनि विपरीत फल दे रहा हो, तो घर में पुरानी लकड़ी एवं कोयला नहीं रखें। सोना नहीं बेचें। घर के पिछले भाग में बंद कोठरी बनाएं, जिसमें रोशनदान भी नहीं हों।
दशम भाव: दशम भाव में स्थित शनि यदि अशुभ फल दे रहा, हो, तो उसकी शुभता के लिए घर में पीतल के बर्तन में पवित्र जल भरकर रखें। पशु-पक्षियों की कदापि हत्या नहीं करें और न ही उन्हें सताएं।
एकादश भाव: एकादश भाव में स्थित शनि यदि अनुकूल फल नहीं दे रहा हो, तो सूर्योदय के समय सरसों का तेल अथवा शराब को भूमि पर गिराएं। घर में मिट्टी के घड़े में पानी गिराएं। मित्र एवं शुभचिन्तकों का निरन्तर सहयोग करें।
द्वादश भाव: द्वादश भाव में स्थित शनि यदि शुभ फल नहीं देता हो, तो लाल रंग का फूल जमीन में दबाएं। अपने पलंग के नीचे लोहे का टुकड़ा अथवा सामान रखें, मकान में एक कमरे को सदैव बंद रखें।
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