99 साल बाद होगा पूर्ण सूर्यग्रहण, अनिष्ट से बचने के लिए करें ये खास उपाय

कल यानी 21 अगस्त को साल का दूसरा सूर्यग्रहण पडेगा। इससे पहले 26 फरवरी को पहला सूर्य ग्रहण दिखाई दिया था। भारतीय समय के मुताबिक यह ग्रहण रात में 9.15 मिनट से शुरु होगा और रात में 2.34 मिनट पर खत्म होगा। भारत में इस दौरान रात रहेगी तो यहां पर कहीं भी सूर्य ग्रहण दिखाई नहीं देगा। ऐसे में कुछ खास उपायों को आजमाने से ग्रहण का सूतक कम लगता है और अनिष्ट होने की आशंका भी कम हो जाती है।


किसी भी जातक के द्वारा ग्रहणकाल आरम्भ होने से समाप्ति के मध्य की अवधि में मंत्र ग्रहण, मंत्रदीक्षा, जप, उपासना, पाठ, हवन, मानसिक जाप, चिन्तन करना कल्याणकारी होता है। सूर्य ग्रहण अवधि में देव मूर्तियों को स्पर्श नहीं किया जाता है।

सूतक समय के बाद स्वयं भी स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें तथा देवमूर्तियोम को स्नान करा कर, गंगाजल छिडक कर, नवीन वस्त्र पहनाकर, देवों का श्रंगार करना चाहिए। देव प्रतिमाओं के अलावा तुलसी वृ्क्ष, शमी वृ्क्ष को स्पर्श नहीं करें और संभव हो तो ग्रहण के बाद इन सभी पर भी गंगाजल छिडक इन्हें शुद्ध करें। इससे अनिष्ट की आंशका काफी हद तक कम हो जाती है।

ग्रहण काल में अपने इष्ट देव, मंत्र, गुरु मंत्र, गायत्री मंत्र आदि का जप दीपक जला कर करना चाहिए। मंत्रों की सिद्धि के लिए यह समय सर्वथा शुभ होता है तथा इसके विपरीत इस समयाधि के मध्य समय में भोजन ग्रहण करना, भोजन पकाना, शयन, मल-मूत्र त्याग, रतिक्रियाएं व सजने संवरने से संबन्धित कार्य नहीं करने चाहिए।

ग्रहण काल से जुडी एक मान्यता के अनुसार इस अवधि में सब्जी काटना, सीना-पिरोना आदि से बचना चाहिए, नहीं तो जन्म लेने वाले बालक में शारीरिक दोष होने की संभावना रहती है. इसके अलावा उन्हें ग्रहण समय में घर से बाहर भी नहीं निकलना चाहिए तथा ग्रहण दर्शन तो कदापि नहीं करना चाहिए।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्यग्रहण के बाद पवित्र नदियों और सरोवरों में स्नान कर देवता की आराधना करनी चाहिए। स्नान के बाद गरीबों और ब्राह्मणों को दान देने की परंपरा है। कहते हैं कि इससे ग्रहण के प्रभाव में कमी आती है। यही कारण है कि सूर्यग्रहण के बाद लोग गंगा, यमुना, गोदावरी आदि नदियों में स्नान के लिए जाते हैं और दान देते हैं।

हिन्दू मान्यता के अनुसार, सूर्यग्रहण में ग्रहण शुरु होने से चार प्रहर पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। बूढ़े, बालक और रोगी एक प्रहर पूर्व तक खा सकते हैं. यह भी माना जाता है कि ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी, फूल आदि नहीं तोड़ना चाहिए।

यह मान्यता भी प्रचलित है कि सूर्यग्रहण के समय बाल और वस्त्र नहीं निचोड़ने चाहिए और दांत भी नहीं साफ करने चाहिए। ग्रहण के समय ताला खोलना, सोना, मल-मूत्र का त्याग करना और भोजन करना सब कार्य वर्जित हैं।
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