तो ये है रावण से जुडी कुछ अंजानी बातें

आज तक आपने रावण की दुष्टता के बारे में सुना होगा, उसकी क्रूरता के बारे में सुना होगा, लेकिन आज हम आपको रावण से जुडी कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे है, जिन्हे जानकर आप दंग रह जाएंगे जिसे शायद ही आपने कभी सुना होगा। जिनका वर्णन आज तक रामायण की पटकथाओं में नहीं किया गया।   

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क्या आप जानते है रावण आधा ब्राह्मण और राक्षसी क्यों था, क्योंकि रावण ऋषि विश्रवा और राक्षस की पुत्री केिकशी का पुत्र था, रावण का नाम उसकी माता के 4 भाइयों ने मिलके रखा  था।     
रावण अपने समय का सबसे सर्कश्रेष्ठ आयुर्वेदिक और वैद्य शिरोमणि ग्यानी था, रावण ने भी अपने जमाने कई पुस्तकें लिखी जैसे नदी परीक्षा जिसमे धड़कन को समझने का तरीका समझाया गया है, दूसरी अर्का शस्त्र जिसमे आयुर्वेदिक दवाओं से जुडी कई बातें बताई गई है, तीसरी कुमार तन्त्रय् प्रसूतिशास्र  और बाल चिकित्सा के बारे में विस्तार से बताया है। सिर्फ इतना ही नहीं इन किताबों के अलावा रावण ने उड़ीसा चिकत्सय , ओड़िया  चिकित्सा , वतीने  प्रकरनय जैसी अन्य किताबें भी लिखी जिसमे कई अनेक व दुर्लभ ज्ञान का वर्णन किया गया है।   
रावण एक अच्छा संगीतकार था, इसलिए रावण ने खुद अपने लिए स्ट्रिंग इंस्ट्रूमेंट को भी बनाया जिसे बाद में रावण वीणा का नाम दिया गया, रावण ने वायलिन का धनुष भी बनाया। सिर्फ इतना ही नहीं रावण ने दुनिया का कई राग छेड़े और शिव का प्रिय शिव तांडव भी रावण ने ही बनाया, ऐसा माना जाता है जब भी शिवजी गुस्से में होते हैं तो रावण के बनाए शिव तांडव पर नृत्य करते है।  
रावण को उस जमाने में अङ्गम्पोरा का सबसे अच्छा फाइटर माना जाता था, रावण ट्रेडिशनल मर्टियल आर्ट्स सिंहैले में सबसे अव्वल था।                    .                       
रावण तंत्र विद्या का ग्यानी था जिसे वे अपने दुश्मनों पर आज़माता था, रावण ने अपनी इस तंत्र विद्या को शब्दों में एक किताब के रूप में भी उतारा जिसका नाम रावण संहिता रखा गया।   
रावण ने राम सेतु बनाने के लिए राम की वानर सेना के लिए पूजा भी करी और उन्हें आशीर्वाद भी दिया।      
अगर श्रीलंका की लिखावट की माने तो रावण ने ही राम को युद्ध करने का सही समय बताया था और विजयी भाव का वरदान भी था।  
जब रावण मृत्यु अवस्था में था तो, उसने लक्ष्मण को राजनीती का पाठ पढ़ाया था और उनसे अपने जीवन की कुछ बातें भी करी, रावण ने लक्ष्मण को हमेशा अच्छे सम्बन्ध कायम करने की शिक्षा दी और लक्षमण को अपने दुश्मन की ताकत को कम न समझने का ज्ञान दिया। रावण ने लक्ष्मण को हमेशा ज्योतिष शास्त्र और सितारों की विद्या पर विश्वास रखने को कहा, रावण का कहना था कि इन दोनो की गण्डना कभी गकत नहीं हो सकती, इसके साथ रावण ने अपने से ग्यानी व्यक्ति पर भरोसा न करने की सलाह भी दी।      

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